बिहार में फिजियोथेरापी और आॅकुपेशनलथेरापी की पीएचसी तक नियुक्ति और परिषद के निमार्ण की धोषणा के चार साल बाद तक कोई काम नहीं हुआ

माननीय मुख्यमंत्री ने 2016 में कहा था कि "आज फिजियोथेरेपी की जरूरत बढ़ी है परन्तु इनकी सुविधा सिर्फ शहरों में उपलब्ध है। इस पद्धति का विकास होना अनिवार्य है। फिजियोथेरेपिस्ट की संख्या बढ़ेगी क्योंकि मांग ज्यादा है। फिजियोथेरेपिस्टों के लिये राज्यस्तरीय काउंसिल के गठन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में इसके लिये प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर जब तक फिजियोथेरेपिस्ट को नहीं बैठा देते, तब तक लोगों को पूर्ण स्वास्थ्य सुविधायें नहीं उपलब्ध हो पायेगी।"
     आज इन धोषणाओं के किए हुआ 4साल बीत गए और आज भी इन धोषणाओं के आलोक में कोई काम नहीं हुआ, इसका मतलब यह हुआ कि आज तक बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर बस छलावा हो रहा है।क्योंकि आज तक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तक फिजियोथेरापिस्टों के पद ना सृजित हुए और ना ही उनके कौंसिल का निर्माण हो पाया।

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