फिर मंझधार में हमारी नैया फंसी रह गई।
प्रमाणपत्रों का सत्यापन पैनल के अनुसार अभ्यर्थियों का तयशुदा तिथी के अनुसार समपन्न हो गई,अब बात थी संबंधित पदाधिकार के दिलाएं गए वादे के अनुसार सग्रहित राशि को उपलब्ध करा जल्दी से पत्र जारी करवाने का जो अपनो की निष्क्रियता के कारण संभव नहीं लग रहा था।मैं भी चुपचाप है बैठ गया हमारे साथ वाले अन्य साथी जिसमें प्रमुखता से मधुप अजित, दिलीप बास,इत्यादि थे ये भी शांत पड़ गए। तब तक मेरे साथ काम करने वाले मनोज भारती जो बक्सर में मेरे साथ थे मेरे से इस कांउसलिंग के संबंध में सारी जानकारी मेरे से लेकर नवीन जी से शेयर कर कोर्ट चले गए, जिसमें यही मामला था बिहार के बाहर के कालेजों से पढ़कर आए बिहार के छात्रों को भी बुलाए जाने को लेकर जो न्योचित था इसकी जानकारी जब मुझे मिली तो मैने उनको भला बुरा कहा और ये भी कहा की जब आप उनको कोर्ट के लिए सारा पेपर मेरे से लेकर दिए तो आप क्यों नहीं आवेदक बने आपको भी शामिल होना चाहिए था,कल यदि कोर्ट आदेश करेगी तो आवेदक को यदि सिर्फ शामिल करती है तो आप बाहर हो जाओगे,इस मुद्दे को लेकर तब तक कोर्ट में तीन अन्य लोगों ने भी याचिका दायर कर दिया था औ...