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2021 की यादें.....

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कहां से शुरू करू अपनी 2021 बीते बर्ष की दास्ताँ शुरूआत होती है फ़ेसबुक के मेरे पहले पोस्ट जो कोविड के दौरान वैक्सिनेशन से जुडा़ है पुरी दुनिया के विकसित राष्ट्रोंं ने अपने देश में कोविड से लड़न के लिए अपना टीका विकसित कर लिया था।उसी क्रम में भारत में भी टीके का आरंभ हो चुका था इसी दौरान अपने देश के प्रधान मंत्री के द्वारा 16 जनवरी से टीके का आरंभ करने की प्रक्रिया शुरू की गई,सबसे पहले टीके को संबंधित सरकारी अस्पताल के कर्मियों को देने की आता थी ,इस क्रम में मैं अपने अस्पताल का तीसरा कर्मी था टीका लेने वाला। कोविड का टीका लेकर थोड़ी सी बाद में परेशानी जरूर आई मगर ठीक ठाक रहा ,आगे लगातार अपने अस्पताल में टीकाकरण के कार्य में अगस्त 2021 तक लगा रहा इस दौरान संवर्ग के लिए उपयुक्त जो भी रहा सचिवालय से लेकर तकनीकी सेवा आयोग तक अपना योगदान देता रहा कोर्ट में उम्र के मामले को लेकर मिले विभागीय 15साल के उम्र सीमा की छुट के बाद विभागीय विज्ञापित विज्ञापन की कौंसिलिंग से लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के विभिन्न कार्यक्रमों से लेकर ग्लोबल एशोसिएशन फांर फिजियोथेरापी बिहार शाखा के अध्यक्ष के नाते अपन...

सपनों का महल अचानक ध्वस्त हो गया..

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google.com, pub-6988826151645583, DIRECT, f08c47fec0942fa0 काफी मश्शक्त के बाद पुन: बिहार के बाहर के कालेजों के अभ्यर्थियों को पैनल तैयार कर लिस्ट बना कर मुल प्रमाणपत्रों के सत्यापन की संभावित तिथी को विभाग के द्वारा पत्र तैयार कर आदेश लेने हेतु डायेरेक्टर इन चीफ के पास भेजा गया तब तक मनोज भारती जो की सबसे अंतिम में अपनी याचिका दायर किए थे उच्चन्ययालय पटना में उनकी याचिका मिहीर झा के बेंच में चला गया और फैसले के लिए तिथी भी निधार्रित होकर हाई कोर्ट के बेबसाईट पर अपडेट हो गई।जब इस बात का पता मुझे और अन्य लोगों को चला तो विवेक ने फोन कर मुझे कहा की मनोज भारती को बोलिएउसको अपना याचिका वापस लेने के लिए,मनोज भारती जो मेरे साथ ही बक्सर में कार्यरत थे मैंने उनको विभाग का वो पत्र दिखाया जिसमें उन सभी अभ्यर्थियों को विभाग पुन:प्रमाणपत्र सत्यापन हेतु बुला रही थी जो अन्य सभी इस मामले में याचिकाकर्ता थे उसमें मनोज भारती का नाम भी शामिल था ,मनोज भारती ने फोन के माध्यम से मेरे सामने अपने एडवोकेट को मना किया और याचिका वापस लेने को कहा , उनके एडवोकेट ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया ,मैंने अपने सभी सदस्य...

फिर मंझधार में हमारी नैया फंसी रह गई।

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प्रमाणपत्रों का सत्यापन पैनल के अनुसार अभ्यर्थियों का  तयशुदा तिथी के अनुसार समपन्न हो गई,अब बात थी संबंधित पदाधिकार के दिलाएं गए वादे के अनुसार सग्रहित राशि को उपलब्ध करा जल्दी से पत्र जारी करवाने का जो अपनो की निष्क्रियता के कारण संभव नहीं लग रहा था।मैं भी चुपचाप है बैठ गया हमारे साथ वाले अन्य साथी जिसमें प्रमुखता से मधुप अजित, दिलीप बास,इत्यादि थे ये भी शांत पड़ गए।      तब तक मेरे साथ काम करने वाले मनोज भारती जो बक्सर में मेरे साथ थे मेरे से इस कांउसलिंग के संबंध में सारी जानकारी मेरे से लेकर नवीन जी से शेयर कर कोर्ट चले गए, जिसमें यही मामला था बिहार के बाहर के कालेजों से पढ़कर आए बिहार के छात्रों को भी बुलाए जाने को लेकर जो न्योचित था इसकी जानकारी जब मुझे मिली तो मैने उनको भला बुरा कहा और ये भी कहा की जब आप उनको कोर्ट के लिए सारा पेपर मेरे से लेकर दिए तो आप क्यों नहीं आवेदक बने आपको भी शामिल होना चाहिए था,कल यदि कोर्ट आदेश करेगी तो आवेदक को यदि सिर्फ शामिल करती है तो आप बाहर हो जाओगे,इस मुद्दे को लेकर तब तक कोर्ट में तीन अन्य लोगों ने भी याचिका दायर कर दिया था औ...

मुलप्रमाण पत्र सत्यापन का दिन और उसके बाद....

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सचिवालय के स्वास्थ्य विभाग के के आदेश पर कांऊसलिंग की तिथी निधार्रित हुई विभाग ने सचिवालय के सभागार में स्वास्थ्य विभाग के अन्तर्गत फिजियोथेरापिस्ट एवं आंकुपेशनलथेरापिस्ट के रिक्त पदों के पर संविदा के आधार पर नियोजन हेतु राज्य स्वास्थ्य समिती के पत्रांक 19264 दिनांक 18.08.2010 द्वारा प्राप्त पैनल को पुनर्जीवित करते हुए आरक्षण रोस्टर के आधार पर फिजियोथेरापी और आंकुपेशनलथेरापी के सभी अभ्यर्थियों को मुल प्रमाणपत्र के सत्यापण हेतु दिनांक 11.10.2012 तथा 12.10.2012 को स्वास्थ्य विभाग के सभागार में बुलाया गया जिसमें कुल 65फिजियोथेरापिस्ट और 67आकुपेशनलथेरापिस्टों को बुलाया गया था जो सरकार और विभाग के तत्कालिन सयुक्त सचिव विश्वनाथ ठाकुर के आदेश पर जारी किया गया था। इस पत्र और आदेश के जारी होने के बाद हमें और हमारी टीम के सदस्यों को लगा की उनकी मेहनत रंग ला गई और हमरी कांऊसंलिंग उपरांत नियुक्ति सुनिश्चित हो जाएगी उक्त तिथी को हमारे सभी सदस्यों मेंखुशी का महौल था उक्त तिथी को शांति पुर्वक सभी सदस्यों ने अपने मुल प्रमाण पत्रों का सत्यापण करवाया अंतिम दिन जब विभाग के संबधित सेक्सन के इंचार्ज न...

जीविकोपार्जन और समानुपातिक व्यवस्था को लेकर आंकुपेशनलथेरापी और फिजियोथेरापिस्ट के पदों का बंटवारा।

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सचिवालय के स्वास्थ्य विभाग के सेक्शन 11जो फिजियोथेरापी, आंकुपेशनलथेरापी,मलेरिया,फलेरिया,अंधापन इत्यादि कार्यक्रम तथा संकाय को देखती है,उसी सेक्सन में हमारे संकाय फिजियोथेरापी और आंकुपेशनलथेरापी की फाईलें भी देखी जाती है,जब पहली बार राज्य स्वास्थ्य समिती ने प्रधान सचिव दीपक मिश्रा सर के निर्देश पर इस संवर्ग के विज्ञापित पदों से संबंधित सारे आवेदन विभाग को में दिया तब हमारी टीम का रिश्ता समिती के चक्कर से छुटा पहले हम लोगों के द्वारा कभी समिती तो कभी स्वास्थ्य विभाग के चक्कर लगा कर परेशान हो चुका था अब तो कम से कम एक जगह यानि स्वास्थ्य विभाग का ही चक्कर लगाना पड़ेगा,इसी दौरान हमारे अनुमंडल स्तर के 102पद और सृजित हो चुके थे।इस में आईपीएच स्टेन्डर्ड का पालन कर फिजियोथेरापी के 102पद सृजित किए गए मगर उसमें हमारे सहकर्मी जो आंकुपेशनलथेरापिस्टों के पद आईपीएच स्टेन्डर्ड में नहीं रहने के कारण समानुपातिक व्यवस्था में पढा़ई और जीविकोपार्जन का हवाला देकर उन्हे आधे पद प्रदान कर दिए गए जिससे उन्हें 65और हमें 67 पद जो कुछ जिला अस्पतालों में थे उनको जोड़ कर हुए। अब हमारा पहला उद्देश था हमारी मेधासुची क...

भौतिक चिकित्सकों एवम व्यावसायिक चिकित्सकों की वेतन विसंगति दुर करे बिहार सरकार

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https://mdeal.in/c_cD0sm आज बिहार सरकार नेच भी बडग अपने यहाँ भौतिक चिकित्सा तथा व्यावसायिक चिकित्सा प्रणाली में कार्यरत चिकित्सकों के लिए लम्बी लम्बी धोषणाएँ तो कर दी है मगर आज 4 साल बीत जाने के बाद भी ये सरकारी धोषणाएँ धरातल पर नहीं उतरी,वर्तमान मुख्यमंत्री माननीय नीतिश कुमार ने आज से 4वर्ष पहले विश्व फिजियोथेरापी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में भौतिक चिकित्सकों एवम व्यावसायिक चिकित्सकों को मेडिकल आॅफिसर के बराबर करने की बात करी थी उसके परिपेक्ष में आज 4 वर्ष बीत जाने के बावजूद कोई कार्यवाई नहीं हुई,जैसा कि बिहार में फिजियोथेरापी और आॅकुपेशनलथेरापी संवर्ग को 1978 से ही गजट में शामिल किया गया है और उसे गजटेड पद माना गया है मगर बीते सरकारों से लेकर वर्तमान सरकार ने इसके क्रियान्वयन के दिशा में कोई कार्यवाही आज तक नहीं की गई।       जैसा आपको विदीत होगा कि बिहार में 1997 से पहले  फिजियोथेरापी और आॅकुपेशनलथेरापी में डिप्लोमा की पाठ्यक्रम का संचालन किया जाता था जो 1997 से निजी संस्थान में ड्रिग्री तथा राज्य के एकमात्र सरकारी फिजियोथेरापी आॅकुपेशनलथेरापी के संस्थ...

सारांश से आगे....

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अब जब हम बिहार आ ही गए तो अजित और मैं हम दोनों ने मिलकर राज्य स्वास्थ्य समिती के द्वारा विज्ञापित फिजियोथेरापी आंकुपेशनलथेरापी के अनुमण्डलीय अस्पताल तक के पदों पर संविदागत नियुक्ति हेतु आए विज्ञापन के संबंध में समिती के चक्कर लगाने लगे उससमय समिती के एक्युटिव डायरेक्टर के पी रमैया हुआ करते थे,और एडमिनिस्ट्रेटिव आफिसर अशोक कुमार सिंह थे ,विज्ञापन के आलोक में पता चला कि मात्र 17पद ही सृजित थे जिसमें 11पद आकुपेशनलथेरापी और 6पद फिजियोथेरापी के राज्य सरकारी के द्धारा सृजित कर दिए गए थे बाकि अन्य पदों की सृजन की प्रक्रियाधीन था जो सचिवालय में लंबित था।             पुन: राज्य स्वास्थ्य समिती ने इस विज्ञापन को पुनर्विज्ञापित करवाया 2009में उसमें फिर से अभ्यर्थियों के द्वारा आवेदन मंगवाए गे,विज्ञापन में वर्णित मेधासुची का निर्माण अंतिम वर्ष के फिजियोथेरापी के प्रतिशत के आधार पर करने की प्रक्रिया राज्य स्वास्थ्य समिती ने शुरु कर दी,इसी दौरान सचिवालय और राज्य स्वास्थ्य समिती आने जाने के क्रम में हमारी नई टीम बनी जिसमें अजित,अरशद,शशि आनंद,देवव्रत,विक्रमादित...