बिहार प्रदेश में भौतिक चिकित्सकों और व्यावसायिक चिकित्सकों की नियमित बहाली में पेंच

बिहार प्रदेश में तकनीकी सेवा आयोग के द्वारा निकाले गए भौतिक एवम व्यावसायिक चिकित्सकों के नियमित नियुक्ति के विज्ञापन में कई पेंच अभ्यर्थियों के द्वारा न्यायालय के माध्यम से फँसे हुए है,जो राज्य सरकार तथा विभाग के कारण हुआ है, जैसे की बिहार प्रदेश में अंतिम फिजियोथेरापिस्टों आॅकुपेशनलथेरापिस्टों की नियमित नियुक्ति 1995 में हुआ,उसके बाद कोई नियमित नियुक्ति नहीं हुई।सरकार के द्वारा कई ऐसी नियुक्ति 10 साल 15 साल के बाद किए गए जिसमें अभ्यर्थियों के उम् और नियमित नियुक्ति का हवाला देते हुए उम्र सीमा में छुट का प्रावधान दिया गया है ,मगर हमारे मामले में ये छुट का प्रावधान सरकार ने ये कहते हुए नहीं दिया कि 25 साल पहले नियमित नियुक्ति की अवधि से उम्र सीमा में छुट पर अभ्यर्थियों की उम्र सीमा सेवानिवृत्ति और कार्य करने की क्षमता पर असर करेगा ये बेतूका निर्णय देकर राज्य सरकार ने उम्र सीमा में छुट का प्रावधान हमारे मामले में खत्म कर दिया।
     अब सवाल ये उठता है कि हमारे कार्य करने की क्षमता पर असर पड़ेगा पर सरकार ने जो अन्य नियमित नियुक्तियाँ 60 साल की उम्र तक की है उनकी कार्य क्षमता कैसे बनी हुई हैं।सरकार के इस एक तरफे निर्णय के कारण हमारे संवर्ग के अभ्यर्थियों ने पटना उच्च न्यायालय का रुख किया वहाँ भी पिछले महिने एक आदेश पारित किया गया जिसमें उन्हीं अभ्यर्थियों को आवेदन करने का मौका मिला जो उस रिट में याचिकाकर्ता थे और अंतिम फैसला की तारीख को आगे रखा गया ,इस तरह के निर्णय मिलने के बाद भोतिक चिकित्सा एवम व्यावसायिक चिकित्सा के कई अभ्यर्थियों ने अलग अलग याचिका दायर कर उसमें याचिकाकर्ता के तौर पर अपना नाम डलवाया, कोर्ट ने आदेशित किया था कि 25अगस्त को मुख्य फैसला दिया जाएगा हम सब लोगों को उम्मीद थी फैसला आने के बाद तकनीकी सेवा आयोग आगे की कार्यवाही करेगी, मगर न्यायालय में तारीख पर तारीख़ मिल रहा है अभी तक अंतिम निर्णय नहीं मिल पाया।तकनीकी सेवा आयोग के कार्यालय का कहना है कि जबतक अंतिम निर्णय नहीं आ जाता है हम आगे की कार्यवाही नहीं कर पाएगे वस्तुस्थिति को देखते हुए अब लगता है कि हमारे संवर्ग का नियमित नियुक्ति का मामला बिहार प्रदेश के विधान सभा चुनाव के मद्धेनजर आचार संहिता में फँस जाएगा और फिर हमें इँतजार करना पड़ेगा।
       ऐसा क्यों हुआ इसके पीछे राज्य सरकार स्वास्थ्य विभाग की इच्छाशक्ति की कमी है हमारे संवर्ग के मामले में विभागिय इच्छाशक्ति की कमी है। आज कई सालों की मेहनत के उपरांत ये नियमित नियुक्ति का मामला प्रशस्त हुआ मगर विभागियस्तर की इच्छाशक्ति के कारण अधर में लटका हुआ है।यदि राज्य स्वास्थ्य विभाग अन्य संवर्गों की तरह हमें भी उम्र सीमा में रियायत देती तो ये मामला कोर्ट में नहीं फँसता और आगे की कार्यवाही संभव होती। 
                    मेरे निजी विचार
                           मृत्युंजय

Comments

  1. Bihar sarkar se hm or kya ummid rakh sakte hai iha to medical castism me sare physiothrapist trapped ho gye hai or sarkar sir ghosna pe ghosna krti rahti hai par final result bht km aata h.na to state council hi Bani or na hi permanent recruitment hi hiiii....or fir Nara LG rha hai abki bar fir se wahi sarkar....

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    1. जी सही कहा आपने आज तक बिना पाँच दस साल लगे बिहार सरकार की कोई भी नियमित नियुक्ति नहीं हुई है

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  2. Bihar sarkar se hm or kya ummid rakh sakte hai iha to medical castism me sare physiothrapist trapped ho gye hai or sarkar sir ghosna pe ghosna krti rahti hai par final result bht km aata h.na to state council hi Bani or na hi permanent recruitment hi hiiii....or fir Nara LG rha hai abki bar fir se wahi sarkar....

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  3. Purana rawiya tarikh per tarikh,is samwarg ke liye kewal ghosna wali sarkar

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  4. Hum aapke bicharo se sahmat hai hum sab ko milkar kuchh nirnayak kadam uthane honge.

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  5. Sarkar ke sath sath hamare log v nai chahte hai ki regular recruitment ho

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    1. बहुत सही बात आपने कहीं सर हम सभी यूथ फिजियो को एक होकर सरकार के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए।

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  6. हमारी विचार में सरकार को चाहिए इसकी उम्र सीमा 50 साल कर दी जाए क्योंकि 1995 के बाद आज तक बिहार सरकार में फिजियोथैरेपी occupational थेरेपी की बहाली नहीं हुई है हमारी यही अनुरोध होगी की उम्र 50 साल कर दी जाए धन्यवाद।।

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  7. जी सर अंतिम वर्ष की नियमित नियुक्ति को देखते हुए सरकार को राहत देना चाहिए

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  8. Sr ab iska result kb tk aayega kuchh information h to please share karen ab to election ka v date aa gya phle sun rhe the ki election k phle aa jayega

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