भौतिक चिकित्सकों एवम व्यावसायिक चिकित्सकों की वेतन विसंगति दुर करे बिहार सरकार

आज बिहार सरकार ने अपने यहाँ भौतिक चिकित्सा तथा व्यावसायिक चिकित्सा प्रणाली में कार्यरत चिकित्सकों के लिए लम्बी लम्बी धोषणाएँ तो कर दी है मगर आज 4 साल बीत जाने के बाद भी ये सरकारी धोषणाएँ धरातल पर नहीं उतरी,वर्तमान मुख्यमंत्री माननीय नीतिश कुमार ने आज से 4वर्ष पहले विश्व फिजियोथेरापी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में भौतिक चिकित्सकों एवम व्यावसायिक चिकित्सकों को मेडिकल आॅफिसर के बराबर करने की बात करी थी उसके परिपेक्ष में आज 4 वर्ष बीत जाने के बावजूद कोई कार्यवाई नहीं हुई,जैसा कि बिहार में फिजियोथेरापी और आॅकुपेशनलथेरापी संवर्ग को 1978 से ही गजट में शामिल किया गया है और उसे गजटेड पद माना गया है मगर बीते सरकारों से लेकर वर्तमान सरकार ने इसके क्रियान्वयन के दिशा में कोई कार्यवाही आज तक नहीं की गई।
      जैसा आपको विदीत होगा कि बिहार में 1997 से पहले  फिजियोथेरापी और आॅकुपेशनलथेरापी में डिप्लोमा की पाठ्यक्रम का संचालन किया जाता था जो 1997 से निजी संस्थान में ड्रिग्री तथा राज्य के एकमात्र सरकारी फिजियोथेरापी आॅकुपेशनलथेरापी के संस्थान बिहार काॅलेज आफ आॅकुपेशनलथेरापी एण्ड फिजियोथेरापी में इन संकायों में ड्रिग्री पाठ्यक्रम का संचालन शुरू किया गया।इसके पहले डिप्लोमा को   मानक मानकर वेतनमान का निर्धारण किया गया था आज राज्य में इस क्षेत्र में वांछित योग्यता ड्रिग्री है उसके अनुरूप हमारे वेतमान का निर्धारण राज्य सरकार के सौतेले रवैये के कारण नहीं हो पाया, कुछ दिनों पहले राज्य सरकार के पटना आयुवेर्दिक काॅलेज में भतिक चिकित्सक का पद सृजित किया गया था जिसमें हमारा वेतनमान संतोषजनक निर्धारित किया गया।राज्य सरकार ने भी धोषणा करी थी उसके आलोक में फिजियोथेरापी और आॅकुपेशनलथेरापी संवर्ग के लोगो के द्धारा इस मामले को लेकर विभागीय स्तर पर कारवाई की गई मगर नतीजा सिफर निकाला आज हमारे संवर्ग के विकास उत्थान के लिए सबसे जरुर है राज्य सरकार के द्वारा प्रदान किया गया गजडेट रैंक के अनुसार तथा डिप्लोमा के जगह पर अब जो वांछित योग्यता संबंध रखता है नियुक्तियों के लिए उसके अनुरूप वेतनमान का निर्धारण किया जाए।
       आज राज्य में कई ऐसे दो बर्षीय पाठ्यक्रम है जिनको हमारे अनुरुप वेतमान प्रदान किया जाता है इस कारण हमारा संवर्ग जो की चार वर्ष छह महीने के पाठ्यक्रम का होता है संवर्ग कर्मियों में इस तरह दो वर्षीय पाठ्यक्रम के बराबर वेतमान रहने के कारण हीन भावना का अनुभव होता है जिससे उनके कार्य पर भी असर पड़ता है अत राज्य सरकार को इस दिशा में उचित कदम उठाते हुए हमारे संवर्ग के साथ न्याय करना चाहिए।

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