एक महिला फिजियोथेरापिस्ट की धुन जिसने विकलांग और बेसहारा कुत्तो के लिए अपनी नौकरी छोड़ उनकी देखभाल के लिए पोष फाऊन्डेशन बनाया।

आपने लोगों को सोशल मीडिया पर जानवरों के हित में पोस्ट शेयर-लाइक करते हुए देखा होगा, लेकिन हकीकत में कम ही लोग ऐसा करते हैं। हाल ही में  दिल्ली से सटे गाजियाबाद की एक फिजियोथेरेपिस्ट, अदिति बादाम ने जानवरों की मदद के लिए अपनी नौकरी ही कुर्बान कर दी। अदिति ने विकलांग जानवरों के लिए नौकरी छोड़ दी, ताकि वो जानवरों की मदद कर सकें और उन्हें फिर से अपने पैरो पर चलाने में मदद कर सके। बता दें एक बार अदिति एक ऐसे कुत्ते के बच्चे को डॉक्टर के पास लेकर गई थी, जिसे रीढ़ की हड्डी में दिक्कत थी, जहां डॉक्टर ने कहा था कि वो चल नहीं सकता।
हालांकि अदिति ने डॉक्टर की ओर से दी हुई राय को नजरअंदाज करते हुए उस कुत्ते को घर ले लाईं और उसकी देखभाल शुरू कर दी। साथ ही अदिति ने इंसानों की रीढ़ की हड्डी में दिक्कत होने पर दी जाने वाली फिजियोथैरेपी के माध्यम से कुत्ते का इलाज शुरू कर दिया। इस दौरान जूली (कुत्ता) ने भी अदिति के साथ दिया और अच्छे से अपना इलाज करने दिया। अदिति ने द बेटर इंडिया को बताया कि उनके इलाज के 6 महीने बाद जूली अपने पावों पर चलने लगी और उन्हें पता चला कि जूली की रीढ़ की हड्डी टूटी नहीं थी, जबकि हल्की से दब गई थी।

उन्होंने ये भी बताया कि उसके बाद उन्हें लगा कि यह कई विकलांग कुत्तों के लिए जीवनदान साबित हो सकता है। अदिति के अनुसार प्रदेश में सही सुविधाएं ना मिलने की वजह से 90 कुत्ते या तो चल नहीं पाते हैं और वो बेड सोर्स और देखभाल की कमी से मर जाते हैं। जब उन्हें इस बात का पता चला कि इससे कुत्तों को वापस चलने में मदद मिल सकती है तो अदिति ने यह काम जारी करने का फैसला किया। अदिति ने बताया कि इस घटना के बाद उनकी जिंदगी में बदलाव आया। उसके बाद अदिति ने अपना करियर दांव पर लगा दिया और जानवरों को बचाने का काम करने का फैसला किया और उनके हितों के लिए लोगों को जागरूक करने का काम भी शुरू किया। अपने काम को आगे बढ़ाने के लिए अदिति ने ‘पोष’ नाम का एक एनजीओ भी शुरू किया है, जो कि जानवारों की मदद करती है और लोगों को इसके लिए जागरूक भी करती है

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