वाहबिज़ भरूचा एक फिजियोथेरापिस्ट के साथ साथ भारतीय रग्बी महिला टीम में कप्तान भी।
वाहबिज़ भरूचा वर्तमान में भारतीय रग्बी महिला टीम की कप्तान हैं और वह पेशे से एक फिजियोथेरेपिस्ट हैं, जो खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में अपने साथियों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहती हैं। इसके साथ ही भरूचा खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में अपनी फिजियोथेरेपिस्ट का अभ्यास भी कर रही है।
रग्बी टीम से ड्रॉप होने से लेकर कप्तान बनने का सफ़र
वाहबिज़ भरूचा के नेतृत्व में भारतीय रग्बी महिला टीम ने कांस्य पदक हासिल किया था। यह पदक फिलीपींस में एशियाई महिला डिविजन एक रग्बी चैंपियनशिप हासिल हुआ था। हालांकि वहीं, 2016 में वाहबिज़ भरूचा को टीम से बाहर कर दिया गया था, क्योंकि फिजियोथेरेपी के अभ्यास के कारण उनका प्रदर्शन काफी समय तक खराब हो गया था।वाहबिज़ भरूचा ने खेल के बारे में बात करते हुए कहा, "एक समय था, जब मैंने खेल पर ही ध्यान केंद्रित किया था, लेकिन मेरे फिजियोथेरेपी की वजह से मुझे बाहर रहना पड़ा। मैंने अपनी ज़िंदगी में अच्छा समय भी देखा है और बुरा समय भी देखा है, जब मुझे भारतीय टीम से बाहर बैठना पड़ा।" उन्होंने आगे कहा, "लेकिन अब मुझे अपने खेल और फिजियोथेरिपी को बैलेंस करने में काफी मदद मिल गई है, जहां मैं पहले हाफ में फिजियोथेरेपी और दूसरे हाफ के बाद एक एथलीट के रूप में प्रशिक्षण लेती हूं"।
खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में धारणाओं को बदलना है जरूरी
वाहबिज़ भरूचा ने युवा एथलीटों के बारे में बात करते हुए कहा कि यूनिवर्सिटी गेम्स में युवा एथलीटों को समझ में नहीं आ रहा है कि अपने शरीर की देखभाल कैसे करें। वहीं, भरूचा युवा एथलीटों को इस बारे में जानकारी देना चाहती हैं ताकि वह अपने आपको कैसे फिट रखें।उन्होंने आगे कहा, भारतीय रग्बी खेल में ऐसा बहुत कुछ होता है, जो असल में नहीं होना चाहिए और इसे अनदेखा भी नहीं किया जा सकता है। टीम में कुछ एथलीटों को इसलिए लिया जाता है कि उनके पास खेलने की गति और काया बेहतरीन होती है। इसके साथ ही खेल में चोट को पूरी तरह से रोकने की कोई संभावना नहीं है।"
वाहबिज़ भरूचा ने को खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में एथलीटों के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु पर प्रकाश डाला और कहा, "चोट लगने के कारण एथलीट को मैदान छोड़ना ठीक है, लेकिन इससे आगे खेल के लिए कोई खतरा नहीं है। और हमें इसी सोच को बदलना है।
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