मुलप्रमाण पत्र सत्यापन का दिन और उसके बाद....
सचिवालय के स्वास्थ्य विभाग के के आदेश पर कांऊसलिंग की तिथी निधार्रित हुई विभाग ने सचिवालय के सभागार में स्वास्थ्य विभाग के अन्तर्गत फिजियोथेरापिस्ट एवं आंकुपेशनलथेरापिस्ट के रिक्त पदों के पर संविदा के आधार पर नियोजन हेतु राज्य स्वास्थ्य समिती के पत्रांक 19264 दिनांक 18.08.2010 द्वारा प्राप्त पैनल को पुनर्जीवित करते हुए आरक्षण रोस्टर के आधार पर फिजियोथेरापी और आंकुपेशनलथेरापी के सभी अभ्यर्थियों को मुल प्रमाणपत्र के सत्यापण हेतु दिनांक 11.10.2012 तथा 12.10.2012 को स्वास्थ्य विभाग के सभागार में बुलाया गया जिसमें कुल 65फिजियोथेरापिस्ट और 67आकुपेशनलथेरापिस्टों को बुलाया गया था जो सरकार और विभाग के तत्कालिन सयुक्त सचिव विश्वनाथ ठाकुर के आदेश पर जारी किया गया था।
इस पत्र और आदेश के जारी होने के बाद हमें और हमारी टीम के सदस्यों को लगा की उनकी मेहनत रंग ला गई और हमरी कांऊसंलिंग उपरांत नियुक्ति सुनिश्चित हो जाएगी उक्त तिथी को हमारे सभी सदस्यों मेंखुशी का महौल था उक्त तिथी को शांति पुर्वक सभी सदस्यों ने अपने मुल प्रमाण पत्रों का सत्यापण करवाया अंतिम दिन जब विभाग के संबधित सेक्सन के इंचार्ज ने मुझे और टीम के सदस्यों को बुलाकर कहा की आपलोग दक्षिणा का इंतजाम करिए 15दिनों के अंदर नियुक्ति पत्र जारी कर सबको योगदान दिलवा देगें उससमय तो मैं सभी सदस्यों की हामी देने पर प्रति अभ्यर्थी कुछ सेक्सन इंचार्ज द्वारा बताए गए रकम के लिए तैयार हो गया अब ये इतना अच्छी नगद राशि की डिमांड थी की बिना सामुहिक योगदान के देना संभव नहीं था मैंने सभी अभ्यर्थियों से सचिवालय के प्रागण में ही इस संबध में बात करी लगभग अभ्यर्थी इस बात पर तैयार हो गए मगर कुछ अभ्यर्थी अपने कालेज और सरकारी संस्थान का हवाला देकर अलग हो गए उन्होंने ने हमारे मेहनत पर पानी फेरने का काम किया।
हमारे अपने सभी लोगों ने इस बात पर हामी भर दी मगर दो चार लोगों के कारण मुझे ये मामला लटकता नजर आज रहा था प्रमाण पत्रों के सत्यापन के उपरांत जो मैने सेक्सन आफिसर के साथ बात हुई थी अब जब मुझे लगा की उस उम्मीद पर मैं खरा नहीं उतर पाऊगा क्योंकि कुछ लोगों के कारण मामला लटक रहा था और सहयोग नहीं मिल पा रहा था इधर सेक्सन आफिसर रोज मेरे नम्बर पर फोन कर इंतजाम की बात करने लगे मुझे लगा की इतनी बड़ी राशि मेरे अकेले के लिए संभव नही था इक्ट्टा कर दे पाना और जो लोग साथ में तैयार थे उनसे सिर्फ नहीं हो पाएगा इतना सहयोग,अब मेरे पास बस एक ही विकल्प था मोबाइल बंद करके रखना लगातार मैं ने 2हफ्ते मोबाइल बंद रखा और अपने अन्य काम में लग गया।
इसी 15दिन के दौरान एक नई खबर आई जिन बिहार के बाहर के कालेजों को मेघा सुची में शामिल नहीं किया गया था उनलोगों ने नवीन कुमार के साथ मिलकर इस मेघा सुची निर्माण पर हाई कोर्ट में केस फाइल कर दिया अब तो जो उम्मीद हमने बना रखी थी वो टुटता नजर आने लगा क्योंकि ये गलत हुआ था बिहार के डोमिसाईल रहने के बावजुद कुछ लोग के कृत्य के कारण इस तरह के पैनल का निमार्ण किया गया था जो न्योचित नहीं था और ये होना ही था इसका डर मुझे पहले से सता रहा था............क्रमंश:.....सचिवालय के स्वास्थ्य विभाग के के आदेश पर कांऊसलिंग की तिथी निधार्रित हुई विभाग ने सचिवालय के सभागार में स्वास्थ्य विभाग के अन्तर्गत फिजियोथेरापिस्ट एवं आंकुपेशनलथेरापिस्ट के रिक्त पदों के पर संविदा के आधार पर नियोजन हेतु राज्य स्वास्थ्य समिती के पत्रांक 19264 दिनांक 18.08.2010 द्वारा प्राप्त पैनल को पुनर्जीवित करते हुए आरक्षण रोस्टर के आधार पर फिजियोथेरापी और आंकुपेशनलथेरापी के सभी अभ्यर्थियों को मुल प्रमाणपत्र के सत्यापण हेतु दिनांक 11.10.2012 तथा 12.10.2012 को स्वास्थ्य विभाग के सभागार में बुलाया गया जिसमें कुल 65फिजियोथेरापिस्ट और 67आकुपेशनलथेरापिस्टों को बुलाया गया था जो सरकार और विभाग के तत्कालिन सयुक्त सचिव विश्वनाथ ठाकुर के आदेश पर जारी किया गया था। इस पत्र और आदेश के जारी होने के बाद हमें और हमारी टीम के सदस्यों को लगा की उनकी मेहनत रंग ला गई और हमरी कांऊसंलिंग उपरांत नियुक्ति सुनिश्चित हो जाएगी उक्त तिथी को हमारे सभी सदस्यों मेंखुशी का महौल था उक्त तिथी को शांति पुर्वक सभी सदस्यों ने अपने मुल प्रमाण पत्रों का सत्यापण करवाया अंतिम दिन जब विभाग के संबधित सेक्सन के इंचार्ज ने मुझे और टीम के सदस्यों को बुलाकर कहा की आपलोग दक्षिणा का इंतजाम करिए 15दिनों के अंदर नियुक्ति पत्र जारी कर सबको योगदान दिलवा देगें उससमय तो मैं सभी सदस्यों की हामी देने पर प्रति अभ्यर्थी कुछ सेक्सन इंचार्ज द्वारा बताए गए रकम के लिए तैयार हो गया अब ये इतना अच्छी नगद राशि की डिमांड थी की बिना सामुहिक योगदान के देना संभव नहीं था मैंने सभी अभ्यर्थियों से सचिवालय के प्रागण में ही इस संबध में बात करी लगभग अभ्यर्थी इस बात पर तैयार हो गए मगर कुछ अभ्यर्थी अपने कालेज और सरकारी संस्थान का हवाला देकर अलग हो गए उन्होंने ने हमारे मेहनत पर पानी फेरने का काम किया। हमारे अपने सभी लोगों ने इस बात पर हामी भर दी मगर दो चार लोगों के कारण मुझे ये मामला लटकता नजर आज रहा था प्रमाण पत्रों के सत्यापन के उपरांत जो मैने सेक्सन आफिसर के साथ बात हुई थी अब जब मुझे लगा की उस उम्मीद पर मैं खरा नहीं उतर पाऊगा क्योंकि कुछ लोगों के कारण मामला लटक रहा था और सहयोग नहीं मिल पा रहा था इधर सेक्सन आफिसर रोज मेरे नम्बर पर फोन कर इंतजाम की बात करने लगे मुझे लगा की इतनी बड़ी राशि मेरे अकेले के लिए संभव नही था इक्ट्टा कर दे पाना और जो लोग साथ में तैयार थे उनसे सिर्फ नहीं हो पाएगा इतना सहयोग,अब मेरे पास बस एक ही विकल्प था मोबाइल बंद करके रखना लगातार मैं ने 2हफ्ते मोबाइल बंद रखा और अपने अन्य काम में लग गया। इसी 15दिन के दौरान एक नई खबर आई जिन बिहार के बाहर के कालेजों को मेघा सुची में शामिल नहीं किया गया था उनलोगों ने नवीन कुमार के साथ मिलकर इस मेघा सुची निर्माण पर हाई कोर्ट में केस फाइल कर दिया अब तो जो उम्मीद हमने बना रखी थी वो टुटता नजर आने लगा क्योंकि ये गलत हुआ था बिहार के डोमिसाईल रहने के बावजुद कुछ लोग के कृत्य के कारण इस तरह के पैनल का निमार्ण किया गया था जो न्योचित नहीं था और ये होना ही था इसका डर मुझे पहले से सता रहा था............क्रमंश:.....
हां आप बहुत मेहनत किये थे , मुझे याद है ।
ReplyDeleteसर उस दौरान बहुत खुश हुए थे मगर किस्मत को मंजुर नहीं था
ReplyDeleteMrityunjay sir, Aapney Bhut mehnat ki hai, Jiska fal aapko Milega aur Mila bhi hoga, lekin jab section officer ne dakshina ki demand ki to aapko haami nahi Bharani chahiye thi jab merit Se select huye to kis baat kiya dakshina . Aapko sab logo ka sehyog tha aapko us section officer ke against legal anti corruption steps leney chahiye. Is Tarah ke dakshina prajaatti ke babu logo ne purely state or desh Kaun kachra kiya hua hai.
ReplyDeleteमेरिट से हुआ था सबका मगर बिहार में सरकारी तंत्र के कार्यों के लिए बिना दक्षिणा कोई काम नही होता है सर्वविदित है वो भी सचिविलय
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