डिलीवरी से पहले और बाद में फिजियोथेरेपी क्यों फायदेमंद

mritunjayphysio.blogspot.comऐसी कुछ एक्सरसाइज हैं, जिन्हें महिलाएं प्रसव से पहले आसानी से कर सकती हैं. यह एक्सरसाइज महिलाओं को प्रसव के लिए तैयार करने और प्रसव की प्रक्रिया से आसानी से निकलने में मदद करती है.गर्भावस्था या प्रेगनेंसी किसी भी महिला के जीवन का ऐसा समय है, जो उसे हमेशा याद रहता है. इस दौरान कई तरह की परेशानियों से उन्हें गुजरना पड़ता है, तो कई बार नए मेहमान का आगमन इसे सुखद बना देता है. प्रसव के दौरान जटिलताएं एक आम बात है. कई महिलाएं इससे पीड़ित हैं और इसके पीछे के कारण कई हो सकते हैं. गर्भावस्था के दौरान कामकाजी महिलाओं की सामान्य गलतियों के कारण जटिलताएं होती हैं, विशेष रूप से अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, दोनों की देखभाल नहीं करने की वजह से ऐसा होता है. कई बार काम से जुड़े तनाव और लगातार व्यस्तता की वजह से कामकाजी महिलाएं अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाती हैं. इसे रोकने के कई तरीके हैं, जैसे कि एक्सरसाइज करना गर्भावस्था के दौरान सही तरीके से व्यायाम करें और खुद को अधिक तनाव में रखे बिना महिलाओं को आराम से सांस लेनी चाहिए और ऐसी गति से चलना चाहिए जिससे वे सहज रहें. व्यायाम दिन में दो-तीन बार किया जाना चाहिए और सभी मूवमेंट को प्रत्येक सेशन में 10 बार दोहराया जाना चाहिए."प्रसव से पहले एक्सरसाइज, पीठ के निचले हिस्से में दर्द की रोकथाम करने में मदद करती है. एक्सरसाइज से जोड़ खुलते हैं और मांसपेशियां मजबूत होती हैं, जिससे प्रसूति माताओं को प्रसव के लिए शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार होने में मदद मिलती है. गर्भावस्था के दौरान व्यायाम करने से तनाव मुक्त गर्भावस्था और दर्द में भी मदद मिलती है. इसके अलावा, एक्सरसाइज से माताओं को प्रसव के बाद भी लाभ होता है, क्योंकि यह उन्हें बेहतर तरीके से और तेजी से रिकवर करने में मदद करती है.ऐसी कुछ एक्सरसाइज हैं, जिन्हें महिलाएं प्रसव से पहले आसानी से कर सकती हैं. यह एक्सरसाइज महिलाओं को प्रसव के लिए तैयार करने और प्रसव की प्रक्रिया से आसानी से निकलने में मदद करती है. गर्भावस्था के दौरान सामान्य पीठ दर्द से निपटने में भी व्यायाम मदद करता है. गर्भावस्था के दौरान, महिलाएं अक्सर उठने-बैठने की गलत मुद्राएं विकसित कर लेती हैं, व्यायाम से इससे निपटने में भी मदद मिलती है साथ ही प्रसव के दौरान शरीर पर नियंत्रण बनता है. पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज (Pelvic Floor Physiotherapy Exercises For Pregnancy) : व्यायाम में पीठ सीधे रखते हुए बैठ कर थोड़ा आगे की ओर झुकें. मांसपेंशियों को इस तरह सिकोड़े और खींचे जैसे कोई लघुशंका को रोकने की कोशिश करता है. मांसपेंशियों को सिकोड़ें और 8 तक गिनती करने की कोशिश करें, फिर 8 सेकंड के लिए आराम करें. महिलाएं, जो 8 की गिनती तक यह नहीं कर सकतीं, वे जितनी देर कर सकती हैं, करें. जितनी बार इसे दोहरा सकें, उतना दोहराएं, लगभग 8 से 12 बार ऐसा करें. पूरी प्रक्रिया को तीन बार दोहराएं. व्यायाम करते समय सांस लेते रहें. नितंबों को कसने की कोशिश न करें.बैक एंड एब्डोमनल मसल एक्सरसाइज (Strengthening Exercises for Back Pain During Pregnancy ) : यह पीठ और पेट का स्नायु व्यायाम है. सीट के पीछे एक कुर्सी पर बैठ कर स्वाभाविक रूप से सांस लें. पेट को कस लें और सीट के पीछे की तरफ पीठ के निचले हिस्से को सीधा करने के लिए श्रोणि (पेल्विक) को नीचे की ओर दबाएं. 5 सेकंड के लिए इस मुद्रा में रहिए और फिर आराम कीजिए. यह व्यायाम पीठ के निचले हिस्से और पैल्विक पोस्चर को सही रखने में मदद करता है, पीठ दर्द को रोकता है और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करता है.एंकल एक्सरसाइज (Ankle Physiotherapy Exercise) : यह टखने का व्यायाम है. एक टखने से शुरू करें और पैर को ऊपर और नीचे की ओर ले जाएं. दस बार दोहराएं. टखने को अंदर या बाहर की ओर घुमाएं, दस बार दोहराएं. टखने के व्यायाम पैर की सूजन और वैरिकाज शिरा में आराम देते हैं. इस तरह पैर की ऐंठन की समस्या को कम करते हैं. लोवर लिम्ब रिलेक्सेशन एक्सरसाइज (Lower Limb Relaxation Exercises) : -निचले अंगों को आराम देने वाले इस व्यायाम में दीवार के साथ एक छोटी कुर्सी को स्थिर करके इस पर बैठ जाइए, अपनी जांघों को बाहर की ओर फैलाइए और कुछ सेकंड तक ऐसा कीजिए. यह व्यायाम गर्भवती महिलाओं में जांघों की जकड़न मिटाने के लिए उपयुक्त है.गर्भावस्था के दौरान दर्द से राहत के लिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज : नाक से सांस खींचें और महसूस करें कि पेट का विस्तार हो रहा है और फिर मुंह से सांस लें. हल्के दर्द के लिए यह उपयुक्त है.अपने हाथों को सीने के निचले अस्थि-पंजर पर रखें. नाक से सांस लें और अपनी छाती का विस्तार महसूस करें फिर मुंह से धीरे से सांस लें. हल्के दर्द के लिए यह उपयुक्त है. -अपने हाथों को छाती के ऊपरी हिस्सा यानी हंसुली (क्लैविकल) से जरा नीचे रखें, मुंह को हल्का सा खोल कर नाक और मुंह से सांस लें. धीरे से सांस लें और बहुत धीरे से इसे छोड़ें, जैसे कि कोई मोमबत्ती की लौ को बिना हिलाए फूंक मार रहा हो. इस दौरान ऊपरी फेफड़ों को ऊपर-नीचे होता महसूस कीजिए. गंभीर दर्द के लिए यह उपयुक्त है.

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