हीमोफीलिया के मरीजों के साथ फिजियोथेरापी और आॅकुपेशनलथेरापी महत्व
हीमोफीलिया एक बहुत ही कम होने वाला जेनेटिक (माता-पिता से बच्चों में होने वाला) रोग है। इस बीमारी में चोट लगने पर खुन का थका नहीं जम पाता जिससे खून बहता ही रहता है। हीमोफीलिया होने के कारण खून में "क्लॉटिंग फैक्टर्स" की कमी हो जाती है। हीमोफीलिया A - इसमें क्लॉटिंग फैक्टर 8 की कमी होती है। यह हीमोफीलिया के 80 प्रतिशत मामलों का कारण होता है। हीमोफीलिया A से ग्रस्त 70 प्रतिशत लोगों में इसका गंभीर रूप ही पाया जाता है। हीमोफीलिया B - इसको "क्रिसमस रोग" के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग में मरीज़ में क्लॉटिंग फैक्टर 9 की कमी हो जाती है। चिकित्सकों और चिकित्सकीय देखभाल से जुड़े लोग हीमोफीलिया से पीड़ित लोगों को सामान्य जीवन जीने में मदद करने में सहायक है जल्दी जांच, उपचार तक पहुंच और फिजियोथेरेपी की जरूरत इनसब में प्रमुख है। फैक्टर रिप्लेसमेंट थेरेपी और फिजियोथेरेपी के जरिये हीमोफीलिया के मरीज विशेषरूप से बच्चे खून से संबंधित इस जानलेवा बीमारी से लड़ सकते हैं।जानकारी की कमी और हीमोफीलिया का इलाज नहीं हो पाने के कारण जान जाने का खत...