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Showing posts from September, 2020

NHM के तहत बिहार में नवचयनित फिजियोथेरापिस्ट मित्रों के मानदेय के सबंध में जानकारी

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जैसा कि अभी राष्ट्रीय  स्वास्थ्य मिशन के तहत NPHCE, NPCD, NLEP, फिजियोथेरापिस्टो का योगदान  कराया गया  इस के संबंध में  दो तीन दिनों से लगातार कई लोगों के फोन मुझे आ रहे हैं  इसकी जानकारी के संबंध में  जो नवचयनित  अभ्यर्थी है, मैं आपको बताना चाहता हूँ कि बिहार में  राष्ट्रीय  स्वास्थ्य मिशन के तहत  संचालित इन कार्यक्रमों में फिजियोथेरापिस्ट का अलग अलग स्तर पर केन्द्र  के द्वारा  राशि का प्रावधान  उनके मानदेय के तौर पर  हरेक वर्ष किया जाता रहा था  जो इस वित्तीय वर्ष  में  भी उसी तरह का बिहार के लिए था, मगर राज्य  स्वास्थ्य  समिति  ने सब के लिए  एक नियत मानदेय पर विज्ञापन  निकाला जिसमें सारे कार्यक्रमों  के लिए  एक समान है।       अब आगे आने वाले दिनों  के लिए  आपकी आंशंकाओं को दुर करने का मैं अपनी तरफ से प्रयास करता हूँ, जैसा कि एन एच एम के तहत कार्यरत कर्मियों को हरेक वर्ष 5 प्रतिशत  की वार्षिक  वृद्धि  मिलती है  ...

NHM कार्यक्रम के तहत फिजियोथेरापिस्टों के विभिन्न कार्यक्रमों में पदों पर चयनित फिजियोथेरापिस्टों को उज्जवल भविष्य की हार्दिक शुभकामनाएँ

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राष्ट्रीय  स्वास्थ्य  मिशन के  तहत NPHCE, NLEP, NPCDS,RBSK(DEIC) कार्यक्रम  के तहत बिहार के  विभिन्न  जिलों में  फिजियोथेरापिस्ट के पद पर  चयनित फिजियोथेरापिस्टों को उज्जवल  भविष्य की हार्दिक  शुभकामनाएँ ।      आपलोगों की बहुत सारे फोन एन एच एम के बारे पूछताछ और इन कार्यक्रमों से संबंधित  आ रहे थे, जिसका थोड़ा  सा अपने अनुभव के अनुसार  समाधान करने का  प्रयास करता हूँ, आपका National Programme for Health Care of the Elderly (NPHCE) का बिहार का रिजनल सेन्टर पटना मैडिकल कालेज में है  और प्रत्येक जिले में  इसका डिस्ट्रीक सेन्टर हैं  जो सीएचसी स्तर तक  काम करेगा जिसमें कुल 38 पद जिलास्तर पर सृजित है  जिसमें 4 पद फिजियोथेरापिस्ट का केन्द्र  सरकार के द्वारा इस कार्यक्रम  के तहत सृजित किया गया है। इस कार्यक्रम  के माध्यम  से बुजुर्गों के स्वास्थ्य  संबंधित समस्याओं का   निदान करना और उनका पुनर्वास  करना है।        हमारा दुसरा का...

झांरखण्ड फिजियोथेरापी कौंसिल का बिल विधान सभा से पारित

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आज के दिन झांरखण्ड जो 2000 में बिहार से अलग होकर राज्य बना अपने संवर्ग के सफर में बेहतर मापदंड को अपनाते हुए राज्यस्तरीय कौंसिल का निर्माण कर उन राज्यों के लिए मार्गदर्शक बन गया है जहां अभी फिजियोथेरापी कौंसिल का निर्माण नहीं हो पाया है।       इस कौंसिल निर्माण में झारखंड के फिजियोथेरापिस्टों का सामुहिक योगदान है जो डाक्टर अजित कुमार सर के कुशल नेत्तृत्व में संभव हो पाया है,राज्य सरकार की इच्छाशक्ति और फिजियोथेरापी सेवा के प्रति माननीय पुर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सरकार का अहम योगदान रहा है, जैसा कि कौंसिल निर्माण की प्रक्रिया 2014 से ही आरंभ हुई थी उस समय की सरकार के द्वारा मंत्री परिषद से अनुमोदन के पश्चचात राज्य के विधान सभा के पटल पर बिल को पास कराना था मगर तत्कालिक राज्य के विधानसभा चुनाव के कारण ये मामला विधानसभा में नहीं पहुँच पाया। झारखंड में फिजियोथेरापी के नेशनल कान्फ्रेंस के दौरान माननीय हेमंत सोरेन ने अपने दिए गए वायदों में अपने राज्य में फिजियोथेरापी संवर्ग की प्रगति और इसके कार्यों को पुरा करने के लिया दिया गया वादा अपनी सरकार म...

एक पड़ताल

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ये खबर 2015 के दैनिक समाचार पत्र का है, हमारे हिन्दुस्तान में बस 5हजार ही फिजियोथेरापिस्ट होने की बात करता है, जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन इसकी उपलब्धता को 1लाख होना बता रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति 10हजार व्यक्ति पर एक फिजियोथेरापिस्ट की आवश्यकता है मगर ये सोचने वाली बात है कि हमारे देश की सबसे बड़ी संस्था जो  IAP  है, उसके मौजूदा सदस्यों की संख्या 55हजार है, मगर इस दैनिक समाचार पत्र का जो रिपोर्ट है उसमें मात्र 5हजार बताया जा रहा है।    तो क्या ये इतना बडा रिपोर्ट बिना किसी पड़ताल के जारी किया गया है या फिर हमारा जो संगठन है  IAP  उसका सरकार के तंत्र में कोई मतलब नही है, जब की IAP  विश्व भौतिक चिकित्सा संगठन का हिस्सा है और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इतना बडा रिपोर्ट बिना पड़ताल के जारी कर दिया। इसके पीछे बहुत सारे सवाल पैदा होते है कि या तो ये विश्व स्वास्थ्य संगठन का तैयार किया गया रिपोर्ट फर्जी है या फिर आईएपी के सदस्यों की सही जानकारी इस संगठन को नही दी गई।

वेलनेस सेन्टर आज भी बाट खोज रहा भौतिक चिकित्सकों की

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माननीय केन्द्रीय राज्य स्वास्थ्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे जी का आश्वासन बस आश्वासन भर ही रह गया आज वेलनेस सेन्टर बहुत सारे राज्यों में संचालित किए जा रहे हैं, माननीय मंत्री महोदय ने अपने विश्व फिजियोथेरापी दिवस के अवसर पर उपस्थिति के दौरान ये बातें कही थी।            भारत (India) में स्वास्थ्य सेवाओं (Health Services) के बेहतर बनाने के लिए नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की सरकार तेजी से काम कर रही है. आयुष्मान भारत (Ayushman Bharat) के तहत देश में 1.25 लाख (एक लाख 25 हजार) वेलनेस सेंटर (Wellness Centre) खुलेंगे ऐसी स्थिती में जब फिजियोथेरापिस्टों को वेलनेस सेन्टर तक रखा जाएगा तो हमारे फिजियोथेरापी संवर्ग के हरेक फिजियोथेरापिस्ट को सरकार के साथ काम करने का मौका मिलेगा।आज हमें जरूरत है माननीय मंत्री की उदधोषणा पर कार्य करने का हमारे राष्ट्रीयस्तर के संगठन यदि इस पर अमल करते हैं तो ये हमारे संवर्ग के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी हमारी पद्धति का ग्रामीणस्तर तक विकास होगा, एक और बात CHO  का पद जो इन वेलनेस सेंन्टरों को संचालित करने के लिए बनाया ...

संवेदी एकीकरण थेरेपी (Sensory Integration Therapy)में व्यावासायिक चिकित्सकों के साथ भौतिक चिकित्सकों का महत्व।

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संवेदी एकीकरण थेरेपी (Sensory Integration Therapy) का उपचार क्या है ? संवेदी एकीकरण थेरेपी ए जीन आइरेस (एएसआई) के सिद्धांत पर आधारित है जिसमें एक हस्तक्षेप दृष्टिकोण, ‎अनुभवकारी एकीकरण के अनुभवजन्य व्युत्पन्न, और शरीर से संवेदी जानकारी को एकीकृत करने और संसाधित ‎करने की तंत्रिका संबंधी प्रक्रिया का वर्णन शामिल है। पर्यावरण दैनिक जीवन, भावनात्मक विनियमन, सीखने ‎और व्यवहार में भागीदारी में योगदान देता है।व्यावासायिक चिकित्सकों का इसमें अहम योगदान है मगर इलाजरत बच्चों को किसी तरह का चलन,माँसपेशीय या हड्डियाँ की विकृति या अन्य किसी तरह की भौतिक समस्या होती हैं तो वहां भौतिक चिकित्सक का भी महत्वपूर्ण भुमिका होती है। संवेदी एकीकरण थेरेपी का उद्देश्य संवेदी एकीकरण विकार वाले बच्चों की सहायता करना है। यह उन बच्चों को एक ‎संरचित और दोहराव तरीके से संवेदी उत्तेजना के सामने उजागर करके किया जाता है। इस चिकित्सा के पीछे ‎वास्तविक सिद्धांत यह है कि समय के साथ, मस्तिष्क स्वयं अनुकूल होगा और बच्चों को संसाधित करने और पहले ‎से अधिक कुशल तरीके से संवेदनाओं पर प्रतिक्रिया करने की अनुमति देगा।...

*Jaipur Rehab* *Vestibular Processing Dysfunctions in children with Cerebral Palsy & its Clinical Management’s (practical demonstration)

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*Jaipur Rehab*  feels immense proud to organise Free Online Webinar on Topic:  *Vestibular Processing Dysfunctions in children with Cerebral Palsy & its Clinical Management’s (practical demonstration)*  by:  *Dr Amit Barua (PT)*  B.P.T,M.P.T(SVNIRTAR),MIAP(L-403309),MIACP,MSIP C/SI(Certified Sensory Integration Therapist From University Of California) c/NDT (Bostan university ), certified Advance NDT therapist certified OPT level1&2 therapist  Certified Autism Movement Therapist From USA Director Of Little Seeds Clinic. President of chhattisgarh paediatric physiotherapist association. Date: 19th September, 2020 Time: 03:30 PM To join us Live follow the link: https://youtu.be/vxpfwyiVwXE Join us live on Youtube channel " Jaipur Rehab " Follow the link to subscribe http://www.youtube.com/c/JaipurRehab?sub=_confirmation=1 Join the official WhatsApp Group with the following link https://chat.whatsapp.com/LspE6sIYlOZGdXx5y4VufT Jo...

आपको भौतिक चिकित्सक की आवश्यकता कब हो सकती है?

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इसे आधुनिक जीवनशैली का दुष्प्रभाव कहें लेकिन घुटने का दर्द, पीठ दर्द, गर्दन में खिंचाव जीवन का एक हिस्सा बन गया है। जब एक निश्चित प्रकार का दर्द काफी समय के लिए कम नहीं होता है और आप किसी विशेष हरकत को करने के बाद इसका अनुभव करते हैं, तो फिजियोथेरेपिस्ट को देखने की सलाह दी जाती है। सुविधाजनक उपचार के लिए आप हमारी होम फिजियोथेरेपी सेवा का लाभ भी ले सकते हैं। फिजियोथेरेपी में विशिष्टताओं की एक विस्तृत श्रृंखला है और लोग निम्नलिखित में से किसी भी चिकित्सा मुद्दे के लिए फिजियोथेरेपी ले सकते हैं: न्यूरोलॉजिकल मुद्दे, न्यूरोमस्कुलोस्केलेटल, कार्डियोवास्कुलर और श्वसन। न्यूरोमस्कुलोस्केलेटल इसमें पीठ दर्द सहित सभी प्रकार के दर्द शामिल हैं। घुटनों में दर्द, गठिया, खेल के दौरान लगी चोट और व्हिपलैश से संबंधित विकार। पक्षाघात (पैरालिसिस )  क्या आप जानते हैं कि नियमित फिजियोथेरेपी उपचार के साथ, रोगी की मांसपेशियों की टोन और गतिशीलता में सुधार किया जा सकता है। पार्किंसंस रोग पार्किंसंस रोग होने से व्यक्ति के चलने फिरने में दिक्कत आती है। फिजियोथेरेपी उपचार रोगी को अधिक गतिशीलता और स्...

अलाॅईड हेल्थ कौंसिल बिल तथा बिहार कौंसिल जो निर्माणाधीन है उसपर एक पड़ताल :-

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कल राज्य सभा से नेशनल अॅलाईड हेल्थ कौंसिल का बिल पास हो गया बिल में कई बातें फिजियोथेरापी संवर्ग के लिए अच्छी है 1. यह कानूनी रूप से हमें फिजियोथेरेपिस्ट के रूप में मान्यता देगा 2. अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप फिजियोथैरेपी संवर्ग को मापदंड प्रदान किए जाएगें 3. भौतिक चिकित्सकों को भौतिक चिकित्सा के माध्यम से चिकित्सा प्रदान करने का स्वतंत्र दायरा देगा। 4. विधेयक संस्थानों, भौतिक चिकित्सक पेशेवरों के मूल्यांकन और शिक्षा के मानकों के विनियमन और रखरखाव के लिए उचित मार्गदर्शन प्रदान करता है, एक केंद्रीय निबंधन तथा राज्य निबंथन  का प्रावधान होता है जो रखरखाव और पहुँच, अनुसंधान और विकास और नवीनतम वैज्ञानिक उन्नति को अपनाने के लिए एक प्रणाली का निर्माण करेगा         इस तरह के प्रावधान हमारे संवर्ग के विकास के लिए उपयोगी सिद्ध होगा, जैसा कि शुरू में जो मसौदा इस बिल का तैयार किया गया था उसमें स्वतंत्र रुप से प्रैक्टिस करने का अधिकार के जगह पर ये था अंडर मेडिकली गाईडेड जिसपर हमारे बिहार आईएपी प्रेसीडेन्ट डा. नरेन्द्र कुमार सिन्हा सर ने विरोध किया और इसमें सुधार तथा अन्य...

एलाॅयड हेल्थ कौंसिल बिल पर एम्स दिल्ली के फिजियोथेरापिस्टडा. प्रभात रंजन सर की राय

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NCAHP बिल के तहत भौतिक चिकित्सा के क्षेत्र में निम्नलिखित उपलब्धियां हमें इस बिल के माध्यम से प्राप्त होगी: 1. यह कानूनी रूप से हमें फिजियोथेरेपिस्ट के रूप में मान्यता देगा 2. अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप फिजियोथैरेपी संवर्ग को मापदंड प्रदान किए जाएगें 3. भौतिक चिकित्सकों को भौतिक चिकित्सा के माध्यम से चिकित्सा प्रदान करने का स्वतंत्र दायरा देगा। 4. विधेयक संस्थानों, भौतिक चिकित्सक पेशेवरों के मूल्यांकन और शिक्षा के मानकों के विनियमन और रखरखाव के लिए उचित मार्गदर्शन प्रदान करता है, एक केंद्रीय निबंधन तथा राज्य निबंथन  का प्रावधान होता है जो रखरखाव और पहुँच, अनुसंधान और विकास और नवीनतम वैज्ञानिक उन्नति को अपनाने के लिए एक प्रणाली का निर्माण करेगा।       बिशेष जानकारी  के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएँ:-            https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=3476401942417612&id=100001435200644

भौतिक चिकित्सकों एवम व्यावसायिक चिकित्सकों की वेतन विसंगति दुर करे बिहार सरकार

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आज बिहार सरकार ने अपने यहाँ भौतिक चिकित्सा तथा व्यावसायिक चिकित्सा प्रणाली में कार्यरत चिकित्सकों के लिए लम्बी लम्बी धोषणाएँ तो कर दी है मगर आज 4 साल बीत जाने के बाद भी ये सरकारी धोषणाएँ धरातल पर नहीं उतरी,वर्तमान मुख्यमंत्री माननीय नीतिश कुमार ने आज से 4वर्ष पहले विश्व फिजियोथेरापी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में भौतिक चिकित्सकों एवम व्यावसायिक चिकित्सकों को मेडिकल आॅफिसर के बराबर करने की बात करी थी उसके परिपेक्ष में आज 4 वर्ष बीत जाने के बावजूद कोई कार्यवाई नहीं हुई,जैसा कि बिहार में फिजियोथेरापी और आॅकुपेशनलथेरापी संवर्ग को 1978 से ही गजट में शामिल किया गया है और उसे गजटेड पद माना गया है मगर बीते सरकारों से लेकर वर्तमान सरकार ने इसके क्रियान्वयन के दिशा में कोई कार्यवाही आज तक नहीं की गई।       जैसा आपको विदीत होगा कि बिहार में 1997 से पहले  फिजियोथेरापी और आॅकुपेशनलथेरापी में डिप्लोमा की पाठ्यक्रम का संचालन किया जाता था जो 1997 से निजी संस्थान में ड्रिग्री तथा राज्य के एकमात्र सरकारी फिजियोथेरापी आॅकुपेशनलथेरापी के संस्थान बिहार काॅलेज आफ आॅकुपेशनलथेराप...

बिहार प्रदेश में भौतिक चिकित्सकों और व्यावसायिक चिकित्सकों की नियमित बहाली में पेंच

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बिहार प्रदेश में तकनीकी सेवा आयोग के द्वारा निकाले गए भौतिक एवम व्यावसायिक चिकित्सकों के नियमित नियुक्ति के विज्ञापन में कई पेंच अभ्यर्थियों के द्वारा न्यायालय के माध्यम से फँसे हुए है,जो राज्य सरकार तथा विभाग के कारण हुआ है, जैसे की बिहार प्रदेश में अंतिम फिजियोथेरापिस्टों आॅकुपेशनलथेरापिस्टों की नियमित नियुक्ति 1995 में हुआ,उसके बाद कोई नियमित नियुक्ति नहीं हुई।सरकार के द्वारा कई ऐसी नियुक्ति 10 साल 15 साल के बाद किए गए जिसमें अभ्यर्थियों के उम् और नियमित नियुक्ति का हवाला देते हुए उम्र सीमा में छुट का प्रावधान दिया गया है ,मगर हमारे मामले में ये छुट का प्रावधान सरकार ने ये कहते हुए नहीं दिया कि 25 साल पहले नियमित नियुक्ति की अवधि से उम्र सीमा में छुट पर अभ्यर्थियों की उम्र सीमा सेवानिवृत्ति और कार्य करने की क्षमता पर असर करेगा ये बेतूका निर्णय देकर राज्य सरकार ने उम्र सीमा में छुट का प्रावधान हमारे मामले में खत्म कर दिया।      अब सवाल ये उठता है कि हमारे कार्य करने की क्षमता पर असर पड़ेगा पर सरकार ने जो अन्य नियमित नियुक्तियाँ 60 साल की उम्र तक की है उनकी क...

एक और दशरथ मांझी गया से ही कैनाल मैन लौंगी भुईयाँ

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दशरथ मांझी का नाम तो सभी ने सुना होगा। दशरथ मांझी यानी माउंटेन मैन, जिन्होंने पहाड़ काट कर रास्ता बनाया था। मांझी बिहार के गया जिले के पास स्थित गहलौर गांव के रहने वाले थे। अब गया के रहने वाले एक बुजुर्ग लौंगी भुइयां ने भी कुछ वैसा ही कारनामा कर दिखाया है। भुइयां गया जिले के लहथुआ इलाके में कोठीलावा गांव के रहने वाले हैं।उन्होंने 30 साल की अथक मेहनत के बाद तीन किलोमीटर लंबी एक नहर तैयार कर डाली है। ऐसा उन्होंने पड़ोस की पहाड़ियों से बारिश के पानी को अपने गांव के खेतों तक लाने के लिए किया। इसका फायदा गांव के 3000 लोगों को हो रहा है। लौंगी भुइयां की 30 साल की इस मेहनत से पूरे गांव को फायदा हो रहा है। उनके परिजन बताते हैं कि वह रोज घर से जंगल पहुंच जाया करते थे और अपने इस नहर को खोदने के काम में जुट जाते थे। उनके परिजनों ने उन्हें ऐसा करने से मना भी किया लेकिन भुइयां ने किसी की नहीं सुनी। खुद भुइयां ने बताया कि उनकी पत्नी, बेटे और बहू सभी ने यह काम करने से उन्हें रोकने की कोशिश की थी, क्योंकि इसमें उन्हें कुछ मिलता नहीं था, कोई आमदनी नहीं थी। एक समय लोग उन्हें पागल कहने लगे थे, लेकिन आज प...

भौतिक चिकित्सकों और व्यवसायिक चिकित्सकों के संगठनों का संवर्ग कर्मियों के प्रति रवैया।

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आज का सबसे बड़ा मुद्दा है भौतिक चिकित्सा और  व्यावसायिक चिकित्सा के विभिन्न संगठनों द्धारा कार्यशालाओं के माध्यम से अपने संवर्ग के लोगों से मोटी रकम वसुली जाती है ,किसी भी संगठन का निर्माण या संघ के निर्माण के दौरान एक नियमावली तैयार की जाती है जिसमें यह दर्शाया जाता है कि हम इस संगठन के माध्यम से अपने सदस्यों अपने समाज के हर वर्ग का ज्ञानवर्धन के लिए प्रचार प्रसार के लिए कार्य करेगें।इस में सहयोग के तौर पर मामुली रकम जो सहयोग राशि होती है लेने का प्रावधान होता है।     मगर आज हमारे भौतिक चिकित्सक तथा व्यावसायिक चिकित्सक के संगठन अपने कार्यक्रमों के माध्यम से मोटी रकम अपने सदस्यों तथा सहभागिता करने वालों लोगों से वसुलते है,जो कि गलत है किसी भी संगठन के निर्माण उसके सुचारु रुप से संचालन में उसके सदस्यों का अहम योगदान रहता है सदस्यता शुल्क के तौर पर आजीवन सदस्य रहने के लिए शुल्क के तौर पर जब एक बार मोटी रकम उन सदस्यों से वसुली जाती है और सहायता के नाम पर संगठन के तरफ से किसी तरह की सुविधा तक उपलब्ध नहीं कराई जाती आज कोरोना काल में हमारे कई ऐसे भौतिक च...

भौतिक चिकित्सा कब और क्यों जरुरी है!

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  अधिकांश लोग फिजियोथेरेपी को ‘एक और’ वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति से ज्यादा महत्व नहीं देते। कुछ इसके दायरे को मसाज तक सीमित कर देते हैं, तो कुछ इसे खेल के दौरान लगने वाली चोट को ठीक करने के लिए उपयोगी मानते हैं। पर फिजियोथेरेपी की उपयोगिता इससे कहीं ज्यादा है। आईऐ जानते हैं क्यों और कब जरूरी है फिजियोथेरेपी:- अगर दवा, इंजेक्शन और ऑपरेशन के बिना दर्द से राहत पाना चाहते हैं तो फिजियोथेरेपी के बारे में सोचना चाहिए। चिकित्सा और सेहत दोनों ही क्षेत्रों के लिए यह तकनीक उपयोगी है। पर जानकारी की कमी व खर्च बचाने की चाह में लोग दर्द निवारक दवाएं लेते रहते हैं। मरीज तभी फिजियोथेरेपिस्ट के पास जाते हैं, जब दर्द असहनीय हो जाता है। अगर दवा, इंजेक्शन और ऑपरेशन के बिना दर्द से राहत पाना चाहते हैं तो फिजियोथेरेपी के बारे में सोचना चाहिए। चिकित्सा और सेहत दोनों ही क्षेत्रों के लिए यह तकनीक उपयोगी है। पर जानकारी की कमी व खर्च बचाने की चाह में लोग दर्द निवारक दवाएं लेते रहते हैं। मरीज तभी फिजियोथेरेपिस्ट के पास जाते हैं, जब दर्द असहनीय हो जाता है। नियमित हो इलाज फिजियोथेरेपी से कुछ दर्द में...

भौतिक चिकित्सा कब और क्यों जरुरी है

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  अधिकांश लोग फिजियोथेरेपी को ‘एक और’ वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति से ज्यादा महत्व नहीं देते। कुछ इसके दायरे को मसाज तक सीमित कर देते हैं, तो कुछ इसे खेल के दौरान लगने वाली चोट को ठीक करने के लिए उपयोगी मानते हैं। पर फिजियोथेरेपी की उपयोगिता इससे कहीं ज्यादा है। आईऐ जानते हैं क्यों और कब जरूरी है फिजियोथेरेपी:- अगर दवा, इंजेक्शन और ऑपरेशन के बिना दर्द से राहत पाना चाहते हैं तो फिजियोथेरेपी के बारे में सोचना चाहिए। चिकित्सा और सेहत दोनों ही क्षेत्रों के लिए यह तकनीक उपयोगी है। पर जानकारी की कमी व खर्च बचाने की चाह में लोग दर्द निवारक दवाएं लेते रहते हैं। मरीज तभी फिजियोथेरेपिस्ट के पास जाते हैं, जब दर्द असहनीय हो जाता है। अगर दवा, इंजेक्शन और ऑपरेशन के बिना दर्द से राहत पाना चाहते हैं तो फिजियोथेरेपी के बारे में सोचना चाहिए। चिकित्सा और सेहत दोनों ही क्षेत्रों के लिए यह तकनीक उपयोगी है। पर जानकारी की कमी व खर्च बचाने की चाह में लोग दर्द निवारक दवाएं लेते रहते हैं। मरीज तभी फिजियोथेरेपिस्ट के पास जाते हैं, जब दर्द असहनीय हो जाता है। नियमित हो इलाज फिजियोथेरेपी से कुछ दर्द में...

बिहार भौतिक चिकित्सक व्यवसायिक चिकित्सक संघ की तरफ से मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और महागठवंधन के विधान सभा चुनाव में जीत पर हार्दिक शुभकामनाएँ।

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 बिहार भौतिक चिकित्सक व्यावसायिक चिकित्सक संघ आगामी विधान सभा चुनाव में राजद पार्टी और महागठवंधन को अपना समर्थन दी थी ,बिहार में भौतिक चिकित्सकों तथा व्यावसायिक चिकित्सकों के 5000 हजार संवर्ग कर्मी है जो राज्य के विभिन्न जिलों एवम कस्बों में भौतिक चिकित्सा तथा व्यावसायिक चिकित्सक के माध्यम से रोगीयो का ईलाज कर उन्हे पुनर्वास प्रदान करते हैं ,राज्य के विभिन्न निजी तथा सरकारी संस्थानों से प्रतिवर्ष लगभग 500 छात्र इसकी 4.5 साल की पढ़ाई कर निकलते है मगर राज्य में इस क्षेत्र में रोजगार नहीं रहने के कारण अन्य विकसित राज्यों में पलायन कर जाते कहै।राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था कि स्थिती क्या है और इस क्षेत्र में राज्य का मौजुदा सरकार ने क्या हाल है आपसे छिपी नहीं है।आज हमारे हजारों भौतिक एवम व्यावसायिक चिकित्सक बेरोजगार है जो तिहाड़ी मजदुर के जैसे ,5 साल की पढाई करने के बावजूद काम कर रहें है।मौजुदा सरकार ने लम्बी लम्बी घोषणाएँ करी लेकिन आज तक उसका सफल क्रियावयन नहीं किया गया।आज 25 सालों बाद राज्य सरकार ने मात्र जिला और अनुमंडलीय अस्पतालों के लिए नियमित बहाली निकाली मगर सरकार के स...

बिहार में भौतिक चिकित्सा और व्यावसायिक चिकित्सा के क्षेत्र में रोजगार की वर्तमान स्थिति।

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 भौतिक चिकित्सा,व्यावासायिक चिकित्सा के  क्षेत्र में रोज़गार वर्तमान स्थिती:- अगर हम बात रोज़गार की करें तो इससे भयावह बात शायद ही दूसरी हो।व्यावसायिक एवम् भौतिक चिकित्सा क्षेत्र में रोज़गार की यूँ तो अपार संभावनाएं हैँ,  अनेक भौतिक चिकित्सक न केवल देश में बल्कि विदेशों में भी बेहतरीन कार्य कर रहे हैं| रोज़गार को हम सरकारी क्षेत्रों तथा निजी क्षेत्रों में विभाजित कर सकते है| किन्तु यदि आप बिहार के रहने वाले हैं या निवासी हैं तो ये आपका दुर्भाग्य ही होगा की सरकार की आपको मात्र 'तकनीशियन' ही मानती है|  डिग्री धारक व्यावसायिक चिकित्सक् या भौतिक चिकित्सक अभी तक तकनीशियन के वेतमान या मानदेय पर कार्यरत है। राज्य में अब तक सरकार मात्र संविदा पर ही व्यावसायिक और भौतिक चिकित्सक को ही रोज़गार दे सकी है|1995 के बाद 25 सालों के उपरांत तकनीकी सेवा आयोग के द्वारा पहली बार नियमित नियुक्ति निकाली गई जो राज्य सरकार के असहयोगात्मक रवैयै के कारण अभी तक लटकी हुई है। बिहार में भौतिक चिकित्सा और व्यावसायिक चिकित्सा के क्षेत्र में समाज कल्याण तथा बिहार शिक्षा परियोजना के द्वारा...

कोविड 19 में फिजियोथेरापी की भुमिका

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बिहार राज्य के गया जिला अन्तर्गत टेकारी अनुमंडल में बनाए गए कोरोना आवासन गृह में संदिग्ध कोरोना आवसितों को फिजियोथेरापी और योग के माध्यम से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाया जा रहा है।        इस विकराल कोरोना महामारी में फिजियोथेरापी और योगा इसके रोकथाम और ईलाज में बहुत मायने रखता है।  इसे देखते हुए सरकार को चाहिए कि फिजियोथेरापिस्टों को उनका उचित प्रोत्साहन और अच्छी संख्या में पदस्थापना प्रखंडस्तर तक करे जिससे आने वाले दिनों में हम आम जनता तक अपनी पहुँच बना उन्हें उचित स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवा पाए।आज कोविड के मरीजों को आईसीयु से लेकर वार्ड तक उनके श्वसन तंत्र को मजबुत बनाने के लिए चेस्ट फिजियोथेरापी अहम मददगार हो रही है, कोविड में फिजियोथेरापी की भुमिका विषय पर हमारे कई बड़े बड़े फिजियोथेरापिस्टों ने आॅनलाईन कार्यशाला के माध्यम से फिजियोथेरापिस्टों को गुर सिखाए जो कोविड के मरीजो को बीमारी के दौरान और उसके ठीक होने के उपरांत उनके श्वसन प्रक् को मजबुत करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में काफी मदद करती है।       इसी कड़ी में विश्व फिजियोथेरापी...

बिहार में फिजियोथेरापी और आॅकुपेशनलथेरापी की पीएचसी तक नियुक्ति और परिषद के निमार्ण की धोषणा के चार साल बाद तक कोई काम नहीं हुआ

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माननीय मुख्यमंत्री ने 2016 में कहा था कि "आज फिजियोथेरेपी की जरूरत बढ़ी है परन्तु इनकी सुविधा सिर्फ शहरों में उपलब्ध है। इस पद्धति का विकास होना अनिवार्य है। फिजियोथेरेपिस्ट की संख्या बढ़ेगी क्योंकि मांग ज्यादा है। फिजियोथेरेपिस्टों के लिये राज्यस्तरीय काउंसिल के गठन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग में इसके लिये प्रक्रिया चल रही है। उन्होंने कहा कि सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर जब तक फिजियोथेरेपिस्ट को नहीं बैठा देते, तब तक लोगों को पूर्ण स्वास्थ्य सुविधायें नहीं उपलब्ध हो पायेगी।"      आज इन धोषणाओं के किए हुआ 4साल बीत गए और आज भी इन धोषणाओं के आलोक में कोई काम नहीं हुआ, इसका मतलब यह हुआ कि आज तक बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर बस छलावा हो रहा है।क्योंकि आज तक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों तक फिजियोथेरापिस्टों के पद ना सृजित हुए और ना ही उनके कौंसिल का निर्माण हो पाया।

भौतिक चिकित्सक समाज के लिए वरदान है,मगर सरकारी उदासीनता के कारण लाचार

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भौतिक चिकित्सा आधुनिक चिकित्सा का वो वर्ग है जो जन्मजात विकृति और रोगों के उपचार से लेकर बुढापे तक मानवता के लिए कार्य करता है।ये चिकित्सा प्रणाली मरन्नासन्न अवस्था में पड़े बीमार व्यक्ति के अंदर नई उर्जा का संचारन कर उसे फिर से जागृत कर वापस उसे उसकी जिन्दगी में लौटाता है जहाँ वो फिर से अपने सभी कार्यो को बखुबी स्वयं करने के काबिल हो जाता है        आज भारत में भौतिक चिकित्सा प्रणाली की स्थापना सर्वप्रथम मुम्बई महानगरपालिका के अन्तगर्त संयुक्त राष्ट्र और डब्लुएचो की सहायता से 1953 में बीएमसी के अस्पताल से हुई,1962 में इण्डियन फिजियोथेरापी एसोसिएशन की स्थापना हुई। आज 50 बर्ष बीत चुके है, इस चिकित्सा विज्ञान ने आज जितनी प्रगति अपने बलबुते किया उसमें सरकार का रवैया उदासीन रहा आज तक हमारे चिकित्सा प्रणाली का कोई राष्ट्रीय मानक तैयार नहीं हो पाया, सरकार के स्तर से इसकी पढाई और प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय स्तर के कई संस्थान बनाए गए जहाँ भौतिक चिकित्सा की पढ़ाई होती है,कई निजी संस्थान भी खोले गए जहाँ स्नातक,परास्नातक तथा पीएघडी तक की पढाई करवाए जाते है   ...

एक सफल भौतिक चिकित्सक

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एक अच्छे फिजियोथैरेपिस्ट की पहचान है,उसका धैर्य,संयम और उसका वाक् चातुर्य इन दक्षताओं के द्वारा वे उपचार के दौरान मरीजों का दर्द ध्यान से हटा देते हैं और उसमें प्रेरणा और सकारात्मकता की भावना जागृत कर देतें है,जिसमें रोगी शारीरिक तौर पर ही नहीं मानसिक रूप से जल्दी स्वस्थ हो जाता है।

बिहार प्रदेश में विश्व फिजियोथेरापी दिवस के अवसर पर विभिन्न आयोजन

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 आज साईं हेल्थकेयर एण्ड वेलनेस सेंन्टर में विश्व फिजियोथेरापी दिवस के अवसर पर दीप प्रज्वलन और प्रेस कान्फ्रेंस का आयोजन पटना के सुप्रसिद्ध फिजियोथेरापिस्ट डा. राजीव कुमार सिंह के द्धारा किया गया।जिसमें दीप प्रज्वलन के लिए डा.रत्नेश कुमार चौधरी,डा.सुमन डा.मृत्युंजय,डा.अजय और जदयु के प्रवक्ता ओम प्रकाश सेतु सम्मिलित हुए,दीप प्रज्जवन के बाद विश्व फिजियोथेरापी दिवस के अवसर पर डा. राजीव के द्वारा प्रेस कान्फ्रेंस के माध्यम से फिजियोथेरापिस्टों तथा जनता के बीच फिजियोथेरापी दिवस की शुभकामनाएँ प्रदान की गई और कोरोना में फिजियोथेरापी के महत्व पर प्रकाश डाला गया।        मुझे भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बनाने के लिए डा. राजीव कुमार सिंह का आभार।

फिजियोथेरापी एक बेहतरीन चिकित्सा विज्ञान

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  मैं आपको फिजियोथेरेपी और इससे होने वाले फायदों के बारे में बताना चाहता हुँ।आम तौर पर लोग फिजियोथेरेपी के बारे में इतना जानते हैं कि जब किसी का कोई ऑपरेशन हुआ हो तो उसके बाद डॉक्टर फिजियोथेरेपी की सलाह देता है।या लकवे के मरीजों,फ्रैक्चर, ऐक्सीडेंट या कोई स्पोर्ट्स एंजुरी वाले लोगों को इस थेरेपी की सलाह दी जाती है।लेकिन आज के समय में केवल रोगी ही नहीं, बल्कि स्वस्थ्य लोग भी चुस्त-दुरुस्त रहने के लिए फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह लेते हैं।मौजूदा समय में स्मार्ट और सामान्य स्वास्थ्य समाधान के लिए फिजियोथेरेपी काफी लोकप्रिय होती जा रही है. इसकी लोकप्रियता और भरोसे का कारण यह भी है कि फिजियोथेरेपी इसके विशेषज्ञ ही करते हैं।फिजियोथेरेपी का हिंदी अर्थ है भेाैतिक चिकित्सा। इस विधा के पेशेवर डॉक्टर को फिजियोथैरेपिस्ट कहा जाता है।ये बाकायदा साढ़े चार वर्षीय BPT डिग्री होती है।इसके पोस्ट ग्रेजुएट  दो वर्षीय तथा डाक्टरेट की ड्रिग्री भी उपलब्ध है।एक अच्छे फिजियोथैरेपिस्ट की पहचान है - उसका धैर्य, संयम,और वाक्-चातुर्य....इन दक्षताओं के द्वारा वे उपचार के दौरान मरीज का ध्यान दर्द से ह...