ये कैसी आज़ादी कैसी स्वतंत्रता
ये कैसी स्वन्त्रता दिवस आजादी का मतलब मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति, और इसी आवश्यकता की पूर्ति का नाम ही आजादी है। यानी जब तक हमारी आवश्यकता अधूरी है तो आजादी भी अधूरी है। यानी हम आजाद नहीं हैं। तो फिर ये जश्न कैसा? काहे का मुबारकबाद? कैसी और किसकी आजादी? 15 अगस्त 1947 को देश का बँटवारा हुआ, बँटवारे के दौरान फैलाई गयी हिंसा में करीबन 10 लाख लोग मारे गए। देश के बँटवारे को स्वतंत्रता कहा जा रहा है। बँटवारे के दस्तावेज पर खुशी-खुशी दस्तखत करने वाले देशभक्त स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कहे जा रहे हैं। जो लोग आजादी की लड़ाई के दौरान अँग्रेजों के साथ थे आज वे जबर्दस्ती आजादी मनवाने का अभियान चला रहे हैं। जिनके ताप से डरकर अँग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा वे आज भी सरकारी दस्तावेजों में आतंकवादी कहे जा रहे हैं, जैसे भगत सिंह! यह सब भारत जैसे विश्व गुरुओं के देश में ही संभव है। यदि भगत सिंह सिर्फ अंग्रेजों को भगाना चाहते थे तो फिर सरकार के दस्तावेज में एक क्रन्तिकारी की जगह आतंकवादी क्यूँ? आधी रात को आजादी तो मिली इससे इनकार नहीं! मगर सवाल ये है कि आखिर ये आजादी किसको मिली थी? ये आजादी मुट्ठीभर लोगों क...